Book Details | |
Book Author | Dr. Manisha P. Nathe |
Language | Hindi |
Book Editions | First |
Binding Type | Hardcover |
Pages | 210 |
Publishing Year | 2023 |
साहित्य में स्थित समसामयिक चेतना अपने समय का वह प्रतिबिंब होता है, जो अपने साथ समकालीन यथार्थ का वहन करता है। डॉ. शंकर पुणतांबेकर के कथा साहित्य में चित्रित उनके जीवनानुभूति के अंश समाज जीवन की उस सच्चाई का प्रतिनिधित्व करता है, जो समकालीन स्वतंत्र भारत का यथार्थ है।
सन १९४७ को देश आजाद हुआ। देश के सामने पुनर्निर्माण की चुनौती थी। जनता नई सरकार और नए सत्ताधारियों से उम्मीद लगाए बैठी थी। नए सत्ताधारियों ने धीरे-धीरे महात्मा गाधी के आदर्श और जीवन मूल्यों से किनारा कर लिया। भारतीय समाज जाति भेद, ऊँच-नीच, धार्मिक कर्म काण्ड और पाखण्ड से त्रस्त था। शिक्षा व्यवस्था, आरोग्य सेवाएँ, सरकारी कार्यालय, पुलिस यंत्रणा, आदि प्रशासनिक व्यवस्थाओं में भारी मात्रा में भाई भतीजावाद, रिश्वतखोरी का खुले आम बोलबाला था। इस ’भ्रष्टाचार’ का संवर्धन करने और उसे ’शिष्टाचार’ घोषित करने में सब का योगदान रहा। इस भ्रष्ट संस्कृति से सब से ज्यादा परेशान और पीड़ित भारत का आम आदमी था। सरकार द्वारा जनहित में जो भी योजनाएँ बनती रही, उसे भ्रष्ट प्रशासन अधिकारी और नेता बीच में ही लूट लेते थे। उत्तरदायित्वहीन राजनीति ने जनता के उन सपनों को साकार होने से पहले ही कुचल दिया, जो आजादी से जुड़े हुए थे। परिणाम स्वरूप जनमानस धीरे-धीरे मोहभंग का शिकार हो गया।
एक स्वयंभोगी रचनाकार के नाते डॉ. शंकर पुणतांबेकर ने अपनी व्यंग्य शैली से समकालीन व्यवस्था के सारे मुखौटों को तार-तार कर दिया। उनकी रचनाएँ अपने समय का वह दस्तावेज़ हैं, जिसमें सामाज जीवन के हर संघर्ष का आयाम मुखर हुआ है। भ्रष्ट राजनीति, समाज जीवन को खोखला करने वाली जाति और धर्म से संबंधित रूढ़ि परम्पराएँ, आर्थिक समस्याओं का संघर्ष, भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों का पतन, शिक्षा व्यवस्था में छाई बुराइयाँ, औद्योगिक क्रांति के दुष्परिणाम, प्रशासनिक व्यवस्था का भ्रष्ट चेहरा आदि को उन्होंने उजागर किया है। उनकी हर रचना अपने समय के यथार्थ का आईना बनी हुई है। जिसमें हम स्वातंत्र्योत्तर भारत के चरित्र को साफ-साफ देख सकते हैं।
डॉ. शंकर पुणतांबेकर के अंतस्थ में बसा एक संवेदनशील इंसान और उनकी कलम द्वारा चित्रित जनमानस की वेदना का बखान, उन्हें अपने समय का जन भाष्यकार बना देता है।