Book Details | |
Book Author | Dr. Ramesh C. Murari |
Language | Hindi, Sanskrit |
Book Editions | First, 2017 |
Binding Type | Hardcover |
Pages | 296 |
आयुर्वेद के विभिन्न ग्रंथों, संहिताओं को देखकर यह लगा कि इनके रहस्यों को स्पष्ट करूँ, जो समयानुसार सार्थक हो रहा है। आयुर्वेद के इन ग्रंथों को देखने से यह अवश्य कहा जा सकता है कि मनुष्य के सिर के बाल से लेकर पैर के नाखूनों तक के रोगों को भगाने, तथा बुद्धिमान मनुष्य के निकट न आने देने के लिए जो कार्य हजारों वर्षों से आयुर्वेद ने किया है उसके लिए इन मनीषियों के हम ऋणी हैं तथा रहेंगे। जिस शास्त्र ने कायचिकित्सा अस्थि, रक्त, मन, श्वसनतंत्र, नाड़ी, शास्त्र क्रिया जैसे महान कार्य सफल किये। शास्त्र की जडें़ कितनी मजबूत हैं, इसका अनुमान लगाना कठिन है। इतना ही नहीं जहाँ तक आज का एलोपैथ दवाओं के निर्माता व डाक्टर जिस गणित पर शायद विश्वास न करते हों उस गणित का परिगणन हजारों वर्ष पूर्व से ही ग्रह, नक्षत्र, तिथि, वार, सूर्य-चन्द्र ग्रहण, पूर्णिमा, अमावश्या में दवा देना न देना, रोग की वृद्ध, शांति पर कितना संशोधन हुआ होगा कि अमुक राशि के व्यक्ति को अमुक नक्षत्र में शोधन कर दवा दी जाय तो रोगी तुरन्त ठीक हो, उस समय आयुर्वेद का वह रामबाण इलाज कालान्तर में मन्द पड़ गया था, पुनः इस ओर जनता का आकर्षण बढ़ा, लोग इन औषधियों को अपनाने लगे, इससे भविष्य में अन्य रोग होने का भय नहीं है। यह जरूरी है कि आयुर्वेद की दवा शुद्ध रहे।